सूर्य पुत्र कर्ण के बारे में रोचक तथ्य for Dummies

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दोस्तों आज हम बात करने वाले है सूर्य के बारे है यह क्या है इसके कितने भाग है और किस भाग में किस प्रकार की क्रियाए होती है ?

यदुवंशी राजा शूरसेन की पोषित कन्या कुन्ती जब सयानी हुई तो पिता ने उसे घर आये हुये महात्माओं के सेवा में लगा दिया। पिता के अतिथिगृह में जितने भी साधु-महात्मा, ऋषि-मुनि आदि आते, कुन्ती उनकी सेवा मन लगा कर किया करती थी। एक बार वहाँ दुर्वासा ऋषि आ पहुँचे। कुन्ती ने उनकी भी मन लगा कर सेवा की। कुन्ती की सेवा से प्रसन्न हो कर दुर्वासा ऋषि ने कहा, 'पुत्री!

यदि एक ब्रह्मास्त्र भी शत्रु के खेमें पर छोड़ा जाए तो ना केवल वह उस खेमे को नष्ट करता है बल्कि उस पूरे क्षेत्र में १२ से भी अधिक वर्षों तक अकाल पड़ता है। और यदि दो ब्रह्मास्त्र आपस में टकरा दिए जाएँ तब तो मानो प्रलय ही हो जाता है। इससे समस्त पृथ्वी का विनाश हो जाएगा और इस प्रकार एक अन्य भूमण्डल और समस्त जीवधारियों की रचना करनी पड़ेगी। महाभारत के युद्ध में दो ब्रह्मास्त्रों के टकराने की स्थिति तब आई जब ऋषि वेदव्यासजी के आश्रम में अश्वत्थामा और अर्जुन ने अपने-अपने ब्रह्मास्त्र चला दिए। तब वेदव्यासजी ने उस टकराव को टाला और अपने-अपने ब्रह्मास्त्रों को लौटा लेने को कहा। अर्जुन को तो ब्रह्मास्त्र लौटाना आता था, लेकिन अश्वत्थामा ये नहीं जानता था और तब उस ब्रह्मास्त्र के कारण परीक्षित, उत्तरा के गर्भ से मृत पैदा हुआ।



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तब श्रीकृष्ण उसे आशीर्वाद देते हुए बोले- ” कर्ण जब तक सूर्य, चन्द्र, तारे और पृथ्वी रहेगी, तुम्हारी दानवीरता का गुणगान तीनों लोकों में किया जाएगा.

४. धरती माता का श्राप की वह नियत समय पर उसके रथ के पहिए को खा जाएगीं और वह अपने शत्रुओं के सामने सर्वाधिक विवश हो जाएगा।

तभी कर्ण बोला- ठहरिये ब्राह्मण देव, मुझे यश कीर्ति की इच्छा नही है, लेकिन मै अपने धर्म से विमुख होकर मरना नही चाहता, इसलिए मै आपकी इच्छा अवश्य पूर्ण करुगा.

 अर्जुन के तीर से कर्ण का रथ कई गज पीछे चला जाता था जबकि कर्ण के तीर से सिर्फ हथेली भर ही रथ पीछे जाता था। इसके बाद भी श्रीकृष्ण कर्ण की ही प्रशंसा करते है। इसका कारण वे बताते है कि अर्जन के रथ मे मेरा और हनुमान जी का भार है । इसको हिला पाना भी बहुत मुश्किल है। कर्ण ने युद्ध में बड़ी ही कुशलता से युद्ध किया। उसने जब नागास्त्र का प्रयोग किया तो श्री कृष्ण ने रथ को एक ओर झुका दिया ।वह अर्जुन के मुकुट को ले उड़ा । जिससे अर्जुन के प्राण बच गए ।

मनु द्वारा निर्धारित, सौर वंश के राजाओं ने वंशानुक्रम के शासन का पालन किया। केवल राजा की सबसे बड़ी संतान ही सिंहासन के लिए सफल हो सकती थी, जब तक कि पुजारियों द्वारा शारीरिक रूप से अक्षम या किसी अन्य कारण से अयोग्य घोषित नहीं किया जाता। छोटे पुत्रों ने कई प्रमुख ऐतिहासिक क्षत्रिय और वैश्य भी पैदा किए, लेकिन ये राजाओं की निम्नलिखित सूची में शामिल नहीं हैं। हालाँकि, सूची में कुछ सही उत्तराधिकारी शामिल हैं जिन्हें पुजारियों द्वारा अयोग्य घोषित किया गया था। राजपूतों के बीच संबंध

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वे शांत स्वर में बोले पार्थ कर्ण रण क्षेत्र में घायल पड़ा है, तुम चाहो तो उसकी दानवीरता की परीक्षा ले सकते हो.

कर्ण अर्जुन भाई होते हुए भी बहुत बड़े दुश्मन थे. दोनों के पास बहुत ज्ञान और शिक्षा थी, दोनों अपने आप को एक दुसरे से बेहतर समझते है. लेकिन दोनों में कर्ण ज्यादा बलवान था, ये बात कृष्ण भी जानते थे वे कर्ण को अर्जुन से बेहतर योध्या मानते थे. कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत युध्य से हटकर भारतवर्ष का राजा बनने के लिए बोला था, क्यूंकि कर्ण युधिष्ठिर व दुर्योधन दोनों से बड़े थे. लेकिन कर्ण ने कृष्ण की ये बात ठुकरा दी थी. कर्ण ने अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को महाभारत के चक्रव्यू में फंसा कर मार डाला था, इस बात से कृष्ण व पांडव दोनों बहुत आक्रोशित हुए थे, कर्ण को खुद भी इस बात का बहुत दुःख था क्यूनी वे जानते थे कि अभिमन्यु उनके ही भाई का बेटा है.



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